Friday, December 4, 2009

एक अरसे बाद वो आना चाहता है,

गले मिलकर आंसू बहाना चाहता है,

बहुत है कहने सुनने को हमारे बीच,

मगर कुछ है जो वो मुझसे छुपाना चाहता है,

ज़िन्दगी कटी है फुटपाथ पे सदियों जैसी,

सर ढकने को अब एक ठिकाना चाहता है,

जिसे ठुकरा कर चला गया था एक दिन,

आज फिर वही मुझसे याराना चाहता है,

कुछ नगमे चुराकर मेरी ज़िन्दगी से,

ख़ुद को अब शायर दिखाना चाहता है.

1 comment:

राज भाटिय़ा said...

कुछ नगमे चुराकर मेरी ज़िन्दगी से,

ख़ुद को अब शायर दिखाना चाहता है.
बहुत सुंदर जी